IPC. 1860 Section 323 - BNS. 2023 Section 115
धारा 115. स्वेच्छा उपहति कारित करना.- (1) जो कोई किसी कार्य को इस आशय से करता है कि तद् द्वारा किसी व्यक्ति को उपहति कारित करे या इस ज्ञान के साथ करता है कि यह सम्भाव्य है कि वह तद्वारा किसी व्यक्ति को उपहति कारित करे और तद् द्वारा किसी व्यक्ति को उपहति कारित करता है, यह कहा जाता है कि वह "स्वेच्छया उपहति करता है"।
जब कोई व्यक्ति किसी कार्य को इस आशय से करता है कि किसी व्यक्ति को उपाहति कारित करें या संभव हो कि उस कार्य से किसी व्यक्ति को उपाहति कारित होगी वह उसे कार्य को करता है और किसी व्यक्ति को उपाहति कारित होती है तो यह कहा जाता है कि वह उपाहति करता है।
BNS 115(2). जो कोई धारा 122 की उपधारा (1) के अधीन उपबन्धित मामले के सिवाय स्वेच्छया उपहति कारित करता है, दोनों में से किसी भांति के कारावास से जो एक वर्ष तक का हो सकेगा, या जुर्माने से जो दस हजार तक का हो सकेगा या, दोनों से, दंडनीय होगा।
जब कोई व्यक्ति धारा 122(1) में वर्णित मामलो केअलावा किसी व्यक्ति को स्वेच्छा से उपहति कारित करता है तो वह 1 वर्ष तक की सजा या ₹10000 के जमाने से या दोनों से दण्डित किया जा सकता है।
सजा - 1 वर्ष या 10000 रू जुर्माना या दोनों।
अपराध - असंज्ञेय, जमानतीय, शमनीय।
न्यायालय - कोई भी मजिस्ट्रेट न्यायालय।
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