वारंट - वारंट एक ऐसा आदेश है जो न्यायालय या सक्षम पुलिस अधिकारी द्वारा किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने के लिए जारी किया जाता है। वारंट जारी करते समय न्यायालय या सक्षम पुलिस अधिकारी को बड़ी सावधानी बरतनी होती है। क्योंकि वारंट किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता को समाप्त करता है। जो कि भारतीय मूल अधिकारों का हनन है।
वारंट के प्रकार - किसी व्यक्ति के खिलाफ जब वारंट जारी किया जाता है तो वह निम्न में से किसी एक प्रकार का होता है !
1- जमानती वारंट
2 - आजमानती वारंट
1. जमानती वारंट - जब कोई न्यायालय किसी व्यक्ति के खिलाफ जमानती वारंट जारी करता है। तो न्यायालय अपने विवेक के आधार पर वारंट पर लिखित रूप में यह आदेश दे सकता है। कि अगर गिरफ्तार किए जाने वाला व्यक्ति निश्चित समय एवं तारीख पढ़ने वाले में उपस्थित होने के लिए तैयार होता है और वह एक प्रतिभु सहित वचन पर देता है तो उस व्यक्ति को पहचान पत्र लेकर अभिरक्षा से मुक्त कर दिया जा सकेगा !
2. आजमानती वारंट - जमानती वारंट में वंधन पत्र जैसा कोई विकल्प नहीं होता है। इसके अंतर्गत गिरफ्तार किए जाने वाले व्यक्ति को अनिवार्य रूप से गिरफ्तार कर न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करना होता है। न्यायालय अगर चाहे तो जमानत पर रिहा कर भी सकता है और नहीं भी।
वैध वारंट के आवश्यक तत्व - सीआरपीसी की धारा 70 में वैध वारंट की आवश्यक तत्वों का वर्णन किया गया है।
1. वारंट लिखित होना चाहिए।
2. वारंट पर न्यायालय के पीठासीन अधिकारी के हस्ताक्षर होने चाहिए। (हस्ताक्षर के स्थान पर मोहर का प्रयोग पर्याप्त नहीं है)
3.प्रत्येक वारंट पर उस न्यायालय की मोहर लगी होनी चाहिए जिसने उसे जारी किया है।
4.वारंट पर उस व्यक्ति का पूर्ण विवरण दिया जाना चाहिए जिसे गिरफ्तार किया जाना है।
जैसे कि नाम , पिता का नाम , जाति , राष्ट्रीयता , पता आदि
5. गिरफ्तार किए जाने वाले व्यक्ति पर जो आरोप लगाए गए हैं उनका विवरण भी दिया जाना चाहिए।
6. मुख्यता वारंट पर गिरफ्तार करने वाले अधिकारी का नाम व पद भी दिया जाना चाहिए!
वारंट की समय सीमा- सीआरपीसी की धारा 70 के अनुसार वारंट जब तक जारी रहता है जब तक कि उसे जारी करने वाला न्यायालय या सक्षम पुलिस अधिकारी रद्द न कर दे या फिर उसका निष्पादन ना हो जाए।
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