इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 26/10/2023 को मृगराज गौतम उर्फ़ रिप्पू बनाम स्टेट आफ उत्तर प्रदेश के मामले में सुनवाई के दौरान कहा की पोक्सो एक्ट का उद्देश्य यह नहीं है कि किशोरी के बीच बने प्रेम संबंधों को अपराध बनाया जाए।
कोर्ट ने कहा कि पोक्सो एक्ट का निर्माण 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को यौन शोषण से बचने के लिए किया गया था। लेकिन आजकल यह उनके शोषण का एक कारण बन गया है।
इस अधिनियम का उद्देश्य किशोर के बीच सहमति से बने रोमांटिक संबंधों को अपराध बनाना कभी नहीं था। हालांकि ऐसे प्रत्येक मामले में तथ्यों एवं परिस्थितियों को देखा जाना चाहिए।
Case story. - मृगराज गौतम उर्फ़ रिप्पू बनाम स्टेट आफ उत्तर प्रदेश।
मामला एटा जिला जालौन उत्तर प्रदेश का है जिसमें अभियोजन पक्ष ने FIR में बताया कि मृगराज गौतम और रिप्पू द्वारा अन्ना आरोपियों के साथ मिलकर दिनांक 13/05/2023 की रात्रि में उसकी पुत्री को बहला फुसलाकर घर से भगा ले गया। तथा वह अपनी भाभी का मंगलसूत्र एवं ₹10000 साथ ले गयी। जिसके फल स्वरुप मृगराज गौतम उर्फ़ रिपु जिला जालौन में मुकदमे की लंबित होने की दशा में जमानत चाहता है।
आवेदक ने जमानत हेतु इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील की।
जिसमें आवेदक के विद्वान वकील ने तर्क दिया कि आवेदक बिल्कुल निर्दोष है और उसे अनावश्यक परेशान करने और पीड़ित करने की दृष्टि से वर्तमान मामले में झूठा फंसाया गया है। विद्वान वकील ने यह भी कहा है कि एफआईआर में लगभग 12 घंटे से अधिक की देरी हुई है और उक्त देरी के लिए कोई स्पष्टीकरण नहीं है। आगे कहा गया है कि स्कूल छोड़ने के प्रमाण पत्र के अनुसार, उसकी जन्मतिथि 10/07/2008 है, इस तरह यह 15 साल से सिर्फ दो महीने कम पड़ती है। वह स्कूल सर्टिफिकेट में दर्ज अपनी उम्र से कहीं ज्यादा बड़ी दिखती है।
आवेदक के विद्वान वकील ने सुशील कुमार बनाम राकेश कुमार, (2003) 8 एससीसी 673 में शीर्ष न्यायालय के सुलझाए गए केस कानून पर बहुत अधिक भरोसा किया है, जिसमें यह कहा गया है कि भारतीय समाज में यह अक्सर होता है। लोग अपने बच्चों की उम्र उनकी वास्तविक उम्र से काफी कम दिखाते हैं।
विद्वान वकील ने आगे कहा है कि यह केवल एक स्थानीय स्कूल से स्कूल छोड़ने का प्रमाण पत्र है और इस पर विचार नहीं किया जा सकता है। लीमेड वकील ने यह भी कहा है कि कोई ओसिफिकेशन परीक्षण आयोजित नहीं किया गया है। आगे कहा गया है कि आवेदक का कोई आपराधिक इतिहास नहीं है. आवेदक दिनांक 18.5.2023 से जेल में बंद है। यदि आवेदक को जमानत पर रिहा किया जाता है, तो वह जमानत की स्वतंत्रता का दुरुपयोग नहीं करेगा।
कोर्ट ने कहा कि पोक्सो एक्ट का निर्माण 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को यौन शोषण से बचने के लिए किया गया था। लेकिन आजकल यह उनके शोषण का एक कारण बन गया है।
इसी के साथ न्यायालय ने कुछ शर्तों के आधार पर आवेदक की जमानत मंजूर की।
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