बलात्कार पीड़िता की आयु के निर्धारण में सर्वोत्तम साक्ष्य माता पिता का ब्यान होता है माता पिता के बयान से अच्छा कोई साक्ष्य नहीं होता है।
फतेहचंद बनाम स्टेट ऑफ हरियाणा 2009(66) Acc 923 (AC)के मामले में उच्चतम न्यायालय ने निर्धारित किया कि पीड़िता की उम्र के मामले में सर्वोत्तम साक्ष्य के माता-पिता का बयान होता है इससे अच्छा कोई साक्ष्य नहीं होता है।
अगर माता-पिता के बयान में विरोधाभास अथवा भिन्नता पाई जाती है या फिर माता-पिता को पीड़िता की निश्चित आयु ज्ञात नहीं है या संदेह है तो निम्न आधारों पर पीड़िता की आयु का आंकलन किया जा सकता है।
1. विद्यालय से प्राप्त जन्म प्रमाण पत्र - माननीय उच्चतम न्यायालय एवं माननीय उच्च न्यायालय ने अपनी उपरोक्त विधि व्यवस्थाओं में यह स्पष्ट रूप से निर्देशित किया है कि यदि संस्था के रजिस्टर में जन्मतिथि अंकित करते समय किसी प्रमाणिक जन्म प्रमाण-पत्र के आधार पर जन्मतिथि अंकित नहीं की गयी है और प्रवेश रजिस्टर तथा टी०सी० द्वारा यह साबित करने में अभियोजन असफल रहा हो तथा भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 35 के अन्तर्गत जन्मतिथि की प्रमाणिकता को साबित करने में अभियोजन पक्ष विफल रहा हो तो इस प्रकार के सर्टीफिकेट फर्जी एवं कूटरचित माने जायेंगे तथा विद्यालय के प्रवेश रजिस्टर में अंकित इस प्रकार की जन्मतिथि पर विश्वास नहीं किया जा सकता।
राम सुरेश सिंह बनाम प्रभात सिंह ए0आई0आर0 2000 सुप्रीम कोर्ट पेज-2805.
सुशील कुमार बनाम राकेश कुमार (2003) 8 एस०सी०सी० पेज-637,
राकेश कुमार बनाम स्टेट ऑफ यू०पी० तथा अन्य 2000 (4) ए0डब्लू0सी0 2722 उच्च न्यायालय इलाहाबाद (डी०वी०)
2. नगर पालिका या पंचायत से प्राप्त जन्म प्रमाण पत्र -
3. चिकित्सीय आयु अवधारणा जांच- माननीय उच्चतम न्यायालय ने अपनी विधी व्यवस्था कंचन दास बनाम दिल्ली प्रशासन के मामले में अवधारित किया कि जब आयु सम्बन्धी स्कूल प्रमाण-पत्र तथा मौखिक साक्ष्य संदिग्ध है, तब रेडियोलोजिस्ट की आयु सम्बन्धी राय को स्वीकार किया जाना चाहिए।"
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