आवेदक के वकील का उपस्थित न होना पेशेवर कदाचार व बेंच हंटिंग या फोरु शापिंग की श्रेणी में आता है - इलाहाबाद हाईकोर्ट।


इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि न्यायालय द्वारा यह देखा गया है कि वकील अधिकांश सूचीबद्ध मामलों में कई तारीखों पर उपस्थित नहीं हो रहे हैं आवेदक के वकील का उपस्थित न होना पेशेवर कदाचार की श्रेणी में आता है और यह बेंच हंटिंग या फोरु शॉपिंग के सामान भी है। 

मामले के लंबित रहने से आवेदक को नहीं होगा कोई फायदा -
उच्च न्यायालय ने कहा कि केवल जमानत आवेदन लंबित रहने से आवेदक के पक्ष में कोई अधिकार प्राप्त नहीं हो सकता है। आवेदक को बिना किसी उचित स्पष्टीकरण की बार-बार न्यायिक कार्रवाई से अनुपस्थित रहकर न्याय की धारा को कमजोर करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। 

गैर उपस्थित कानून की प्रक्रिया का खुला दुरुपयोग -
उच्च न्यायालय ने कहा कि बिना किसी उचित कारण की अधिवक्ता या आवेदक की गैर उपस्थित कानून की प्रक्रिया का खुला दुरुपयोग है भले ही आदेश उच्च न्यायालय की वेबसाइट पर सभी के लिए आसानी से उपलब्ध हो। 

क्या था पूरा मामला -
आवेदक झिनमु मैं अपने अधिवक्ता के माध्यम से 2019 में एक अग्रिम जमानत याचिका दाखिल की थी। याचिका दाखिल करने के पश्चात आवेदक के अधिवक्ता बिना उचित कारण के न्यायालय में हाजिर नहीं हुए। 

कोर्ट का आदेश -
उच्च न्यायालय ने वर्तमान अग्रिम जमानत याचिका को निरर्थक मानते हुए खारिज करते हुए कहा कि यदि आवश्यक हो तो आवेदक संबंधित न्यायालय के समक्ष नियमित आवेदन दायर करने के लिए स्वतंत्र है। 

केस का शीर्षक - झिनमु बनाम उत्तर प्रदेश सरकार
जमानत प्रार्थना पत्र संख्या - 58263/2019
न्यायमूर्ति - श्री कृष्ण पहाल

Post a Comment

और नया पुराने