(1). जो कोई किसी व्यक्ति के शरीर के किसी भाग या किन्हीं भागों को उस व्यक्ति पर अम्ल फेंककर या उसे अम्ल देकर या किन्हीं अन्य साधनों का प्रयोग करके, ऐसा कारित करने के आशय या ज्ञान से कि सम्भाव्य है उनसे ऐसी क्षति या उपहति कारित हो, स्थायी या आंशिक नुकसान कारित करेगा या अंगविकार करेगा या जलाएगा या विकलांग बनाएगा या विद्रूपित करेगा या निःशक्त बनाएगा या घोर उपहति कारित करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष से कम को नहीं होगी किन्तु जो आजीवन कारावास तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुमनि से भी दण्डनीय होगा।
भारतीय न्याय संहिता की धारा 124 (1) मैं कहा गया है कि अगर कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति के शरीर के एक भाग या अनेक भागों पर किसी अम्ल या अन्य साधना द्वारा जानबूझकर ऐसी क्षति या नुकसान पहुंचाएगा जिससे स्थाई या आंशिक नुकसान पहुंचाएगा या अंग बेकार करेगा या जलाएगा या विकलांग बनाएगा या प्रदूषण करेगा या निशक्त बनाएगा या घोर उपहति कारित करेगा वह धारा 124(1) के अधीन अपराधी होगा।
अपराधी से जो भी जुर्माना वसूल किया जाएगा वह पीड़ित को चिकित्सी खर्चों को पूरा करने के लिए दिया जाएगा।
जुर्माना - जितना न्यायालय उसे समझे।
सजा - कम से कम 10 वर्ष या अजीवन करावास।
अपराध - संज्ञेय और अजमानतीय
कोर्ट - सेशन न्यायालय द्वारा विचारणीय
(2). जो कोई, किसी व्यक्ति को स्थायी या आंशिक नुकसान कारित करने या उसका अंगविकार करने या जलाने या विकलांग बनाने या विद्रूपित करने या निःशक्त बनाने या घोर उपहति कारित करने के आशय से उस व्यक्ति पर अम्ल फेंकेगा या फेंकने का प्रयत्न करेगा या किसी व्यक्ति को अम्ल देगा या अम्ल देने का प्रयत्न करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसको अवधि पांच वर्ष से कम की नहीं होगी किन्तु जो सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने का भी दायी होगा।
भारतीय न्याय संहिता की धारा 124 (2) मैं कहा गया है कि अगर कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति को स्थाई या आंशिक नुकसान पहुंचाने के आशय से या अंग बेकार करने या विकलांग बनाने या प्रदूषित करने या निशक्त बनाने या घोर उपहति कारित करने के आसान से उस पर अम्ल फेंकेगा या फेंकने का प्रयास करेगा या अम्ल देगा या देने का प्रयत्न करेगा तो वह धारा 124(2) के अधीन अपराधी होगा।
जुर्माना - जितना न्यायालय उसे समझे।
सजा - 5 से 7 वर्ष।
अपराध - संज्ञेय और अजमानतीय
कोर्ट - सेशन न्यायालय द्वारा विचारणीय
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