इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आर्डर शीट की सही प्रतियां दाखिल न करने पर लगाया जुर्माना।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आर्डर शीट की सही प्रतियां दाखिल न करने पर याचिका को खारिज करते हुए याचिका कर्ता लगाया ₹2500 का जुर्माना। 

क्या था पूरा मामला -
याचिका कर्ता ने कोर्ट में 2001 से लंबित निष्पादन कार्रवाई में तेजी लाने के लिए याचिका दाखिल की थी। प्रतिवादी के विद्वान अधिवक्ता श्री गौरव मेहरोत्रा ने संपूर्ण ऑर्डर सेट की प्रमाणित प्रतियां के साथ लिखित निर्देशों की प्रतियां प्राप्त की। 
उपरोक्त निर्देशों के अवलोकन के पश्चात निष्पादन न्यायालय के पीठासीन अधिकारी ने दिनांक 20 11 2023 को कारोबार ग्रहण किया और कहा कि निष्पादन की कार्यवाही को 3 महीने के भीतर तय करने का प्रयास किया जाएगा बशर्ते कि पक्षों के वकील भी सहयोग करें। 

उपरोक्त बातों को ध्यान में रखते हुए जब जब ऑर्डर सेट की जांच की गई तो न्यायालय ने पाया कि याचिका कर्ता द्वारा पेपर बुक की रनिंग पेज 52 और 53 पर जो आर्डर शीट दायर की गई है उसका उदृरण सही नहीं है। 
प्रतिवादी के विद्वान अधिवक्ता श्री मेहरोत्रा के अनुसार, यह पूरी तरह से एक अलग तस्वीर दर्शाता है, इससे अनिवार्य रूप से यह निष्कर्ष निकलता है कि याचिकाकर्ता द्वारा दायर ऑर्डर शीट सटीक या सही प्रतियां नहीं हैं।

क्या थी याचिका में कमियां -
न्यायालय में जब याचिका करता द्वारा दायर की गई ऑर्डर शीट की जांच की गई तो पाया कि रनिंग पेज 52 और 53 पर जो आर्डर शीट दायर की गई है उसका उदृरण सही नहीं है। साथ ही प्रतिवादी के विद्वान अधिवक्ता ने कहा कि यह पूरी तरह से एक अलग तस्वीर दर्शाता है जिससे यह निष्कर्ष निकलता है कि याचिका कर्ता द्वारा दायर ऑर्डर शीट सही नहीं है। 

उच्च न्यायालय ने याचिका कर्ता पर लगाया ₹2500 का जुर्माना -
उच्च न्यायालय ने आर्डर शीट की सही प्रतियां दाखिल न करने पर याचिका को खारिज करते हुए याचिका कर्ता लगाया ₹2500 का जुर्माना।

केस का शीर्षक - राम प्रसाद मिश्रा बनाम उत्तर प्रदेश
केस नंबर - अनुच्छेद 227 - 365/24
याचिका कर्ता के अधिवक्ता - के के सिंह
प्रतिवादी के अधिवक्ता - गौरव मेहरोत्रा
बैंच - जस्टिस जसप्रीत सिंह 

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