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क्रिमिनल केस ट्रायल की संपूर्ण प्रक्रिया। Complete process of criminal case trial.

भारतीय न्याय सुरक्षा संहिता के अंतर्गत किसी भी क्रिमिनल केस की शुरुआत सामान्यतः तीन चरणों में हो सकती है। 
1. प्रथम सूचना रिपोर्ट (F.I.R)
2. NCR
3. परिवाद 

प्रथम सूचना रिपोर्ट (F.I.R) , NCR , परिवाद किसी भी क्रिमिनल केस की नीव होती है। 

प्रथम सूचना रिपोर्ट (F.I.R) के आधार पर क्रिमिनल ट्रायल 

BNS 173 - संगेय मामलों में इत्तिला - जब किसी पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी को यह सूचना मिलती है कि उसके अधिकार क्षेत्र में कोई संगेय अपराध किया गया है। तो वह अधिकारी अगर समय हो तो सर्वप्रथम भारतीय न्याय सुरक्षा संहिता की धारा 173 के अंतर्गत प्रथम सूचना रिपोर्ट रजिस्टर में दर्ज करेगा उसके पश्चात कार्यवाही करेगा। 

BNSS 173(4) - अगर पुलिस FIR नहीं लिखती है तो पीड़ित व्यक्ति द्वारा मजिस्ट्रेट के समक्ष FIR दर्ज कराने हेतु प्रार्थना पत्र दिया जा सकता है। 

अपराध की सूचना प्राप्त होने पर पुलिस के कर्तव्य - जब किसी पुलिस अधिकारी को यह सूचना प्राप्त होती है कि उसके अधिकार क्षेत्र में कोई संगेय अपराध किया गया है। तो पुलिस के निम्नलिखित कर्तव्य है। 

आरोपी की गिरफ्तारी 
BNSS 35 - पुलिस वारंट के बिना कब गिरफ्तार कर सकेगी - जब किसी पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी को यह सूचना मिलती है कि उसके अधिकार क्षेत्र में कोई संगेय अपराध किया गया है। तो पुलिस का कर्तव्य एवं अधिकार प्राप्त होता है कि वह आरोपी को बिना किसी वारंट के गिरफ्तार कर सके। 

गिरफ्तार किए गए व्यक्ति की तलाशी 
BNSS 49 - गिरफ्तार किए गए व्यक्ति की तलाशी - जब पुलिस किसी आरोपी को गिरफ्तार करती है तो पुलिस को यह अधिकार होता है कि वह गिरफ्तार किए गए व्यक्ति की तलाशी कर सके।

उस स्थान की तलाशी जहां से आरोपी पकड़ा गया है
BNSS 185 - पुलिस अधिकारी द्वारा तलाशी - जब पुलिस किसी आरोपी को गिरफ्तार करती है तो पुलिस को यह अधिकार होता है कि वह उस स्थान की भी तलाशी कर सके जहां से आरोपी को गिरफ्तार किया गया है। 

आरोपी के परिचित या रिश्तेदार को गिरफ्तारी की सूचना देना
BNSS 36(ग) - जब पुलिस किसी आरोपी को गिरफ्तार करती है तो पुलिस गया कर्तव्य होता है कि वह है आरोपी के किसी परिचय या रिश्तेदार को गिरफ्तारी की सूचना दें। 

पुलिस द्वारा आरोपी का मेडिकल परीक्षण कराना 
BNSS 51, 52, 53, 184 - जब पुलिस किसी आरोपी को गिरफ्तार करती है तो पुलिस का यह कर्तव्य है कि उसे मेडिकल परीक्षण के लिए पास के सरकारी या प्राइवेट अस्पताल में लेकर जाए। 

BNSS 184(4) - यदि मामला रेप या बलात्कार से संबंधित है तो डॉक्टर को जांच की रिपोर्ट 7 दिन के अंदर पुलिस थाने में भेजनी होगी। 

जमानती अपराधों या सबूतों के आभाव में थाने से ही जमानत पर छोड़ जाना - 
BNSS 478 - अगर जुर्म जमनती है या फिर पुलिस के पास आरोपी के विरुद्ध पर्याप्त सबूत नहीं है तो आरोपी को पुलिस द्वारा थाने से ही जमानत पर छोड़ दिया जएगा। 
पुलिस द्वारा आरोपी से जमानती या बेल बॉन्ड की मांग की जा सकती है। 

आरोपी का मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जाना
BNSS 58 -अगर अपराध गैर जमानती है तो पुलिस आरोपी को 24 घंटे के अंदर मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश करेगी। 

पुलिस कस्टडी 
BNSS 187 - अगर पुलिस किसी आरोपी से कुछ पूछ-ताछ करना चाहती  है तो पुलिस मजिस्ट्रेट से आरोपी की पुलिस कस्टडी की मांग कर सकती है। 
187(3) - पुलिस कस्टडी 15 दिन से अधिक कि नहीं होगी। 

जमानत 

अग्रिम जमानत 
BNSS 482 -

मजिस्ट्रेट से जमानत 
BNSS 480 -

सत्र न्यायालय से जमानत 
BNSS 483 -

BNSS 187 -

BNSS 483(3) के अंतर्गत पीड़ित व्यक्ति सत्र न्यायालय, हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में बेल कैंसिलेशन फाइल कर सकता है। 

न्यायालय में चार्जसीट पेश करने से पहले पुलिस इन्वेस्टिगेशन - 
प्रथम सूचना रिपोर्ट के दर्ज होने के पश्चात पुलिस का यह कर्तव्य होता है कि वह मामले की निष्पक्ष जांच करें और न्यायालय में चार्ज सीट पेश करें। 
पुलिस द्वारा किसी भी मामले की निष्पक्ष जांच के लिए एक इन्वेस्टिगेशन ऑफीसर नियुक्त किया जाएगा जो नक्शा नजरी (स्वयं या पटवारी द्वारा) और अन्य आवश्यक दस्तावेज एवं साक्ष्य व्यक्तियों द्वारा या किसी डिपार्टमेंट एकत्रित करेगा। 

पुलिस द्वारा गवाहों के बयान
BNSS 180 -

अगर जांच में पुलिस को आरोपी के खिलाफ सबूत प्राप्त होते हैं तो पुलिस कोर्ट में चार्जशीट / चालान पेश कर देती है। 

False Report 
BNSS 189 - अगर जांच में पुलिस को यह जानकारी प्राप्त होती है कि शिकायत झूठी है या आरोपी के खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने के पर्याप्त साक्ष्य या पर्याप्त आधार प्राप्त नहीं होते हैं तो False Report (FR) / Closer Report कोर्ट के सामने फाइल करके केस को समाप्त कर सकती है। 

BNSS 210(1) - अगर पुलिस FR लगाकर मुकदमे को समाप्त करती है तो पीड़ित व्यक्ति द्वारा परिवाद (protest petition) के मध्यम से केस को आगे चलाया जा सकता है।  

BNSS 528 - अगर आरोपी को लगता है कि उसे झूंठा फसाया गया है। और उसके पास पर्याप्त सबूत हैं तो वह उच्च न्यायलय में FIR निरस्त करने हेतु याचिका दायर कर सकता है। 

BNSS 187(3) - पुलिस द्वारा न्यायलय में चार्जशीट पेश करने की समय-सीमा 60 से 90 (आजीवन व 10 वर्ष के कारावास वाले मामलों में 90 दिन) दिन की होती है। लेकिन अगर आरोपी जेल से बाहर है तो पुलिस 60 या 90 दिन से ज्यादा समय भी लगा सकती है। 

चार्जशीट में क्या होता है। - क्रिमिनल केस में चार्ज शीट में निम्नलिखित चीजें होती हैं। 
1. दोनों पक्षों के नाम, पता और Contact 
2. अपराध की सूचना की प्रकृति, पुलिस को सूचना कैसे मिली
3. शिकायतकर्ता की शिकायत
4. पीड़ित और आरोपी की मेडिकल रिपोर्ट 
5. आरोपी की गिरफ्तारी से संबंधित पेपर 
6. गवाहों के बयान 
7. आरोपी से जप्त हुआ हथियार या समान
8. घटनास्थल का नक्शा 
9.BNSS 176 के तहत वीडियोग्राफी और फोरेंसिक रिपोर्ट आदि 
10. अन्य कोई के संबंधी पेपर

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