इलाहाबाद हाईकोर्ट ने श्मशान घाट की खराब हालत पर चिंता जताई

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राजेंद्र कुमार बाजपेई द्वारा दायर एक रिट याचिका सुनवाई के दौरान कहा कि उत्तर प्रदेश में श्मशान घाट में बुनियादी सुविधाओं की कमी बेहद चिंताजनक है और राज्य सरकार को श्मशान घाटों के बुनियादी सुविधाओं पर ठोस कदम उठाने का कार्य करना चाहिए। 

न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने कहा कि - "कॉविड-19 महामारी के चरम के दौरान हमें भयानक स्थिति का सामना करना पड़ा हम जब उचित कार्य करने में असमर्थ थे दाह संस्कार केदो पर बुनियादी ढांचे की गंभीर कमी के कारण दिवंगत आत्माओं के सभाओं का दाह संस्कार किया जाता है। "

वर्तमान समय में जनसंख्या बहुत ही तीव्र ऊसे बढ़ती जा रही है लेकिन दाह संस्कार केन्द्रो पर विकास बहुत ही धीमा हो रहा है। 
कोर्ट ने कहा कि एक सामान्य व्यक्ति अपना पूरा जीवन उचित सुविधाओं को पूरा करने के लिए संघर्ष करता है और अपनी अंतिम सांस के बाद भी उचित सुविधाओं से वंचित रहता है। 

वर्तमान समय में जिस प्रकार से जनसंख्या बढ़ती जा रही है शमशान घाट में सुविधा एवं स्थान निरंतर काम होते जा रहे हैं यहां पर राज सरकार का यह कर्तव्य की वह शमशान घाटों की व्यवस्थाओं का सुधार करने में तेजी लाएं और इनका विकास किया जाना भी अति आवश्यक है। 

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