कर्नाटक हाईकोर्ट ने बुधवार को पिता की गिफ्ट डेट को रद्द करने के खिलाफ अर्जी को खारिज करते हुए कहा कि जब तक असहनीय ना हो माता-पिता बच्चों को कर्मों को माफ कर देते हैं।
मुख्य न्यायाधीश प्रसन्न भी बराले और जस्टिस कृष्ण एस दीक्षित की पीठ में अपने समक्ष दिए गए बयानों के आधार पर यह कहा कि माता-पिता को शारीरिक उत्पीड़न का शिकार होना पड़ा है अन्यथा कौन माता-पिता कार्य कहेंगे?
याचिकाकर्ता ने कहा कि माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरण पोषण और कल्याण संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों के आधार पर पारित सहायक कानून का आदेश कानून की दृष्टि मै टिकाऊ नहीं है। क्यों किया है प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन करते हुए पारित किया गया है।
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया की माता-पिता अपेक्षित आदेश का अनुचित लाभ उठा रहे हैं और उसे संपत्ति से बेदखल करने का प्रयास कर रहे हैं। कोर्ट ने याचिकाकर्ता कि ओर से लगाए गए आरोपो को रद्द किया और याचिकाकर्ता की ओर से की गई अर्जी को खारिज किया।
Case Details. - कविता आर और अन्य और सहायक आयुक्त।
Case No. - WA - 488/2023
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