Case Story -
दिनांक 11 मई 2009 को सुप्रीम कोर्ट ऑफ़ इंडिया द्वारा एक निर्णय पारित किया गया जिसमें कहा गया कि - "यदि कोर्ट सेटिस्फाइड हो जाए कि डिपेंडेंस के पास जो समन भेजे गए थे उसकी तामील नहीं हो पा रही है और डिपेंडेंट स्वयं ही तामील नहीं होने दे रहा है तो ऐसी परिस्थिति में पेपर पब्लिकेशन का ऑर्डर पास किया जा सकता है।"
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