उड़ीसा उच्च न्यायालय में दिनांक 14/02/2025 को अपने एक निर्णय में कहा कि अगर न्यायालय उचित समझे तो याचिका कर्ता को याचिका से अधिक गुजारा भत्ता देने का आदेश पारित कर सकता है।
वर्तमान अपील पति द्वारा की गई थी जिसमें कहा गया था कि न्यायालय ने प्रतिवादी पत्नी को याचिका में दवा की गई भरण-पोषण की राशि से अधिक भरण पोषण देने का आदेश पारित किया है।
अपील कर्ता ने इस आदेश को इस आधार पर चुनौती दी थी कि राशि में वृद्धि प्रतिवादी द्वारा मांगी गई राशि से अधिक है। और फैमिली कोर्ट उसकी वित्तीय देनदारियों का उचित मूल्यांकन करने में विफल रही।
प्रतिवादी उचित राशि का दावा करने में असमर्थ थी -
न्यायालय ने कहा कि अपील कर्ता प्रतिमाह 50000 रु पेंशन के रूप में ले रहा है। जिसकी जानकारी प्रतिवादी को तब तक नहीं थी जब तक की अपील कर्ता ने स्वयं दायर हलफनामे में इसका खुलासा नहीं किया था। इस कारण प्रतिवादी अपनी याचिका में उचित भरण पोषण का दावा करने में असमर्थ थी।
भरण पोषण की राशि प्रदान करने के लिए न्यायिक विवेक आवश्यक -
न्यायालय ने कहा कि आश्रित की वास्तविक ज़रूरतों और भुगतानकर्ता की वित्तीय क्षमता को ध्यान में रखते हुए उचित और न्यायसंगत भरण-पोषण की राशि प्रदान करने के लिए न्यायिक विवेक का प्रयोग किया जाना आवश्यक है। भले ही दावा शुरू में कम करके आंका गया हो। इस मामले में, वृद्धि, आवश्यकता के आधार पर उचित है, न कि तकनीकी कारणों से।
Case Details -
Nirmal Karnakar vs Parbati @ Parbati Karnakar
MATA No. 133 of 2024
Date of Judgment: 14.02.2025
IN THE HIGH COURT OF ORISSA AT CUTTACK
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