ग्रहणी की भूमिका परिवार में कमाने वाले सदस्यों के बराबर है - सुप्रीम कोर्ट।

सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि ग्रहणी की भूमिका परिवार में कमाने वाले सदस्यों के ही बराबर है। 

न्यायालय ने कहा कि यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि एक ग्रहणी की भूमिका हमारे लिए उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी एक परिवार के सदस्य की जिसकी आय परिवार के लिए आजीविका के स्रोत के रूप में कार्य करती है। 

उच्चतम न्यायालय ने कहा कि अगर एक ग्रह निर्माता के द्वारा की जाने वाली गतिविधियों को एक-एक करके गिना जाए तो इसमें कोई शक नहीं है कि एक ग्रह निर्माता का योगदान अमूल्य है। 

क्या था पूरा मामला -

अपीलकर्ता संख्या 1 पति व अपीलकर्ता संख्या 2 और 3 मृतक सूशना पांडे के बेटी और बेटा है। 

सूशना पांडे की मृत्यु उसे समय हुई जब वह 26/06/2006 को प्रतिवादियों के साथ उनकी कार में यात्रा कर रही थी।  कार दोपहर 3:45 बजे अनियंत्रित होकर फिसल गई और खाई में जा गिरी जिससे सूशना पांडे की मृत्यु हो गई। 

अपीलकर्ता ने मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 166 के तहत मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण में याचिका दायर की ओर 16 लाख 85 हजार रुपए की मांग मुआवजे के रूप में की। न्यायाधिकरण ने उक्त याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि विचाराधीन वाहन का बीमा नहीं किया गया था। 

उक्त आदेश से व्यथित होकर अपीलकर्ताओं ने अपील के माध्यम से उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, उच्चतम न्यायालय ने अपील के मामले को ट्रिब्यूनल में भेज दिया, ट्रिब्यूनल ने अपीलकर्ता  को मुआवजे के रूप में केवल 250000 रुपए देने का फैसला सुनाया। 

अपीलकर्ताओं ने फिर एक बार उच्चतम न्यायालय का रुख किया उच्चतम न्यायालय ने ट्रिब्यूनल के आदेश को रद्द करते हुए फैसला सुनाया और कहा कि गृहणी का महत्व परिवार में कमाने वाले सदस्यों के ही बराबर है न्यायालय ने अपीलकर्ताओं को ₹600000 का मुआवजा दिलाया। 

ओर्डर दिनांक - 16/02/2024
केस का शीर्षक - अरविंद कुमार पांडे आदि बनाम गिरीश पांडे 


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